बूढ़े पिता | Hindi kahani

आज का यह कहानी है, एक बूढ़े पिता | Hindi kahani की. और यह कहानी मैं शुरू करूं, इससे पहले आप लोगों से एक रिक्वेस्ट है, कि आप इस कहानी को ध्यान पूर्वक और पुरी सुने। क्योंकि, इस कहानी को सुनाने का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना नहीं है। बल्कि, इस कहानी का उद्देश्य आपकी सोच, आपके विचारों और आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। कहानी के अंत में इस कहानी का सार समझ में आएगा। अतः इस कहानी के लास्ट तक बने रहिएगा मेरे साथ।

किस तरह हमारे माँ बाप, बचपन में अपनी सारी खुशियों को त्यागते हुए, हमें पालते हैं, हमें बड़े करते हैं, और हर बात का अच्छी तरह से ख्याल करते हैं। और कभी भी अपने बच्चो से दुखी भी नही होते हैं। और यहाँ तक की उनकी हर शरारत और परेशान करने वाली बातो से तंग भी नहीं होते हैं। बल्कि उन्हें हर हाल में अच्छे बनने की राह में लगाकर रखते हैं।

लेकिन, जैसे जैसे वक्त के करवट के साथ, समय बीतता जाता है, यही बच्चे बड़े बन जाते है। और पैसे कमाने लगते हैं। और खुद को इतना बड़ा समझने लगते हैं, कि उन्हें अपने स्वार्थ के आगे कुछ भी नही दिखता है। ऐसे में उनके वही माँ बाप बोझ भी लगने लगते हैं। और बुढ़ापे में माँ बाप की सेवा करने, और उन्हें खुश करने के बजाय, उनमें ही दोष निकालने लगते हैं। ऐसे सन्तान होना, ना होने के बराबर ही हैं।

जो बुढ़ापे में अपने माँ बाप की सेवा नही कर सकते हैं। दो वक्त का समय निकाल कर उनके साथ कुछ पल नही बिता सकते हैं। ऐसे बच्चे माँ बाप के बुढ़ापे की लाठी बनने के बजाय, उल्टा माँ बाप को बोझ समझने लगते हैं।

इसी सोच पर आधारित, यह दिल को छु लेने वाली सच्ची कहानी बूढ़े पिता | Hindi kahani, माँ पिता के सम्मान में प्रस्तुत है। जिससे हम सभी बहुत बड़ी सीख ले सकते हैं।
एक 80 वर्षीय बूढ़े पिता अपने घर में सोफे पर बैठे थे। वहीं पास ही 45 वर्षीय उच्च शिक्षित उनका बेटा भी उसी सोफे पर बैठा था। अचानक ही सामने खिड़की पर एक कौवा आकर बैठ गया।

पिता ने अपने बेटे से पूछा, यह क्या है? बेटे ने बड़े ही शांत भाव से जवाब दिया, यह एक कौवा है। कुछ मिनटों के बाद, पिता ने अपने बेटे से दूसरी बार पूछा, यह क्या है? बेटे ने कहा, पिताजी, मैंने अभी अभी आपको बताया था, कि यह एक कौवा है कौवा।

थोड़ी देर बाद, बूढ़े पिता ने फिर से अपने बेटे से तीसरी बार पूछा, यह क्या है? तब उसके बेटे ने झुंझलाते हुए बोला, यह एक कौवा है, कौवा। इस समय बेटे के स्वर में कुछ जलन महसूस हुई। थोड़ी देर बाद, पिता ने फिर से अपने बेटे से चौथी बार पूछा, यह क्या है? इस बार बेटा अपने पिता पर चिल्लाया, आप मुझसे बार-बार एक ही सवाल क्यों पूछ रहे हैं? जबकि मैंने आपको कई बार बता दिया कि यह एक कौवा है। क्या आप इसे समझ नहीं पा रहे हैं?

थोड़ी देर बाद पिता अपने कमरे में गए और एक पुरानी डायरी लेकर वापस आए। उस डायरी को उन्होंने अपने बेटे के जन्म के बाद में ही बनाया था। डायरी एक पेज खोलने पर, उन्होंने अपने बेटे को उस पेज को पढ़ने के लिए कहा। जब बेटे ने उसे पढ़ा, तो निम्नलिखित शब्द डायरी में लिखे गए थे।

आज मेरा तीन साल का बेटा सोफे पर मेरे साथ बैठा था। उसी समय खिड़की पर एक कौवा आकर बैठ गया था। मेरे बेटे ने मुझसे 23 बार पूछा, कि यह क्या है? और मैंने उसे 23 बार जवाब दिया, कि यह एक कौवा है। और उसने मुझसे 23 बार फिर से वही सवाल पूछा। मैंने उसे हर बार, प्यार से गले लगाकर बताया। मुझे इस बात से बिल्कुल भी चिढ़ नहीं हुई, कि मेरे बच्चे ने एक ही सवाल बार-बार क्यों पूछा है।

जबकि, आज जब पिता ने अपने बेटे से सिर्फ 4 बार यही सवाल पूछा, तो बेटे को चिढ़ और गुस्सा महसूस हुआ।
इसे पढ़कर उस बेटे को अपने किये गये व्यवहार का पता चल गया था। जिसके चलते अब वह मन ही मन बहुत शर्मिंदा हो रहा था। शायद उसे अब अपने बूढ़े पिता के प्रति किये गये व्यवहार का पता चल गया था।

इसलिए यदि आपके माता-पिता बुढ़ापे में हैं, तो उन्हें न तो पीछे छोड़ें और न ही उन्हें एक बोझ के रूप में देखें। बल्कि उनके साथ हमेशा प्यार से पेश आएं। शांत, आज्ञाकारी, विनम्र और दयालु बनें। अपने माता-पिता के प्रति विचारशील रहें। आज इस बात को कहें, कि मैं अपने माता-पिता को हमेशा खुश देखना चाहता हूं।

जब से मैं छोटा बच्चा था, उन्होंने मेरी देखभाल की। उन्होंने हमेशा मुझ पर अपने निस्वार्थ प्रेम की वर्षा की है।
उन्होंने मुझे, समाज में एक समर्थ व्यक्ति के रूप में देखने के लिए तूफान और गर्मी को झेले हैं। भगवान से प्रार्थना करें, कि मैं अपने बूढ़े माता-पिता की सर्वोत्तम तरीके से सेवा करूंगा। मैं अपने प्यारे माता-पिता को सभी अच्छे और प्यारे शब्द कहूंगा, चाहे वे कैसे भी व्यवहार करें।

दोस्तों , माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं। आप समाज में कितनी भी इज्जत कमा लें। या कितना भी धन इकट्ठा कर लें। लेकिन माँ बाप से बड़ा धन, इस दुनिया में कोई नहीं है। यही इस कहानी की शिक्षा है।

और मैं आशा करता हूँ ,कि मेरा इस कहानी को लिखना जरूर सार्थक होगा। दोस्तों अगर आप भी अपने माता-पिता से प्यार करते हैं, तो कमेंट बॉक्स में आई लव यू जरूर लिखिए।
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